विजयसिंह पथिक: किसान आंदोलन के जनक और स्वतंत्रता संग्राम के वीर सिपाही
🔰 परिचय
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जब बात किसानों, श्रमिकों और आम जनता की होती है, तो एक नाम विशेष रूप से उभरकर सामने आता है – विजयसिंह पथिक। इनका असली नाम भूपसिंह गुर्जर था, लेकिन देशभक्ति और क्रांतिकारी गतिविधियों के चलते वे पूरे देश में विजयसिंह पथिक के नाम से प्रसिद्ध हुए।
"बाकी सब बातें करते हैं, पर पथिक सिपाही की तरह काम करता है।"
— महात्मा गांधी
उनका जीवन भारत के ग्रामीण समाज, किसानों और जमींदारी प्रथा के खिलाफ उठी आवाज़ का प्रतीक है।
🧬 प्रारंभिक जीवन
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जन्म: 1882 ई., बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
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पूरा नाम: भूपसिंह गुर्जर
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उनके पिता स्वयं 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे, जिससे पथिक जी को बचपन से ही राष्ट्रभक्ति का संस्कार मिला।
💣 क्रांतिकारी गतिविधियाँ
🔥 ‘गदर पार्टी’ से संपर्क
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प्रारंभिक वर्षों में उनका संपर्क गदर पार्टी से हुआ
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उन्होंने क्रांतिकारी मार्ग को चुना और ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सक्रिय हो गए
⚔️ बिजोलिया किसान आंदोलन (राजस्थान)
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1916: उन्होंने मेवाड़ (राजस्थान) के बिजोलिया आंदोलन का नेतृत्व किया
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यहाँ किसानों को लगान, बेगार और शोषण का सामना करना पड़ता था
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पथिक जी ने इन्हें संगठित किया और किसान पंचायत बोर्ड की स्थापना की
📰 'नवीन राजस्थान' पत्रिका
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1920: अजमेर से 'नवीन राजस्थान' (बाद में ‘तरुण राजस्थान’) नामक पत्रिका निकाली
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इसमें उन्होंने राजस्थान के सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को उठाया
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यह पत्रिका ब्रिटिश सत्ता की आंख की किरकिरी बन गई और कई बार प्रतिबंधित हुई
🏛️ ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ की स्थापना (1918)
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यह संस्था स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा देने के लिए बनी
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सभा ने राजनीतिक प्रशिक्षण, जनजागरण और संगठनों के निर्माण पर जोर दिया
📚 विचार और दर्शन
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पथिक जी गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे लेकिन वे क्रियाशील राष्ट्रवाद के समर्थक थे
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वे मानते थे कि बिना संगठन और जनचेतना के क्रांति संभव नहीं है
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उन्होंने किसानों, मजदूरों, युवाओं और महिलाओं सभी वर्गों में सशक्तिकरण की भावना जगाई
🛡️ संघर्ष और बलिदान
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पथिक जी को कई बार ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार किया
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उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया गया
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परंतु उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया
🌾 राजस्थान में योगदान
विजयसिंह पथिक को राजस्थान में:
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किसान आंदोलनों का सूत्रधार
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राजस्थान में आधुनिक पत्रकारिता का जन्मदाता
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जन-जागरण का अग्रदूत
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और स्वराज के विचारों का प्रचारक माना जाता है
🎓 प्रेरणा और विरासत
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राजस्थान सरकार द्वारा कई शैक्षणिक संस्थानों और योजनाओं का नाम पथिक जी के नाम पर रखा गया है
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कई कविता संग्रह और नाटक भी उनके जीवन पर आधारित हैं
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प्रतियोगी परीक्षाओं और इतिहास की पुस्तकों में उनका स्थान महत्वपूर्ण है
📌 निष्कर्ष
विजयसिंह पथिक केवल एक क्रांतिकारी नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक, संगठनकर्ता और सामाजिक सुधारक थे। उन्होंने किसानों की पीड़ा को देश की आवाज़ बनाया और बिना हथियार उठाए भी अंग्रेजों को घुटनों पर ला खड़ा किया। आज जब हम किसानों, श्रमिकों और आम जनता के अधिकारों की बात करते हैं, तो पथिक जी का नाम प्रेरणा का स्रोत बनकर सामने आता है।
"राष्ट्रनिर्माण केवल शासकों से नहीं, खेतों में पसीना बहाने वालों से होता है।"
— विजयसिंह पथिक
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